POEMS BY MANOJ KAYAL
सपने हो निगाहों में
हसरते हो दिलो में
काबू हो जज्बातों पे
फिर क्यों ना जीवन साकार हो
खुदा जब बनना नहीं
संत जब कहलाना नहीं
तो फिर क्यों ना अच्छे इंसान हो
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