कभी अपने लिए भी लिखता हु
जब कभी दिल रोता है
दो शब्द बुनता हु मैं भी
तन्हाईओं के अकेलेपन में
खुद से लड़ता हु जुड़ता हु
कोई बात दिल को छू जाये
उसे शब्दों में पिरों लिख लेता हु
अक्सर औरों के लिए लिखता हु
पर जब दिल भर आता है
दो शब्दों को अपने लिए भी लिख लेता हु
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