POEMS BY MANOJ KAYAL
कह रही है मन की ताल
दोहरा रही है एक ही बात
नगमे ऐसे गाऊ
संगीत ऐसा बनाऊ
सुनके जिसकी मधुर तान
थिरकने लगे सभी भूल सारे दुःख
सरगम ऐसा गुनगुनाऊ
साज ऐसी बजाऊ
सुनके जिसकी मधुर राग
झुमने लगे धरती आकाश
करू ऐसी सप्त लहरी की धुन तैयार
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