POEMS BY MANOJ KAYAL
बाजे मृदंग ढोल नगाड़े
नाचे मन उड़े आँचल
पपीहे की पिहू पिहू
दिल को छू जाए
बाजे झांझर उड़े गुलाल
सुन के सरगम की ताल
मृदंग और ढोल की थाप
नाच रहा है मन बार बार
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