POEMS BY MANOJ KAYAL
उदासी चहरे से हटती नहीं
लाख छुपाऊ मगर छुपती नहीं
चहरे बदल लू हज़ार
मगर हँसि से दर्द की झलक जाती नहीं
छिपा लू ख़ुद को कहीं
तो भी मगर दिल के रोने की आवाज़ जाती नहीं
क्या करूँ उदासी चहरे से हटती नहीं
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