जब जब विपदा आई
थामी रखी आपने डोर
कर ना सकी वो की दुह्साहस
लगन और कर्मठ बेक्तित्व से आपने
जीत लिया फिर से हारा हुआ संसार
सची निष्ठा और लगन की आप हो मिशाल
प्रेरणा बन सिखला दिया कर्तव्य बोध पाठ
थमा हमारे हाथो में जीवन रथ की डोर
चले गए आप वैकुंठ लोक
वैकुंठ गमन की तिथि
दो फूल हमारे भी स्वीकार करो
सर पे हमारे सदा रखना अपना हाथ
हुई हो कोई भूल तो करना हमें माफ़
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