POEMS BY MANOJ KAYAL
कल तक जिनके सर के थे ताज
आज उनके दीदार को भी है मोहताज
सिला बेवफा ने ऐसा दिया
गुमनामी की गलियो हमें अकेला छोड़ दिया
सितम ऐसा दिया
मौत से भी बदतर जिन्दगी के हवाले हमें कर दिया
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