POEMS BY MANOJ KAYAL
क्यो करते हो रब मेरी किस्मत से मजाक
क्यो छल जाते हो मेरे को ही हर बार
क्यो लोट जाती है खुशिया मेरे ही द्वारे आए
हे रब कैसे तुम को बतलाऊ
पीड़ा कैसे तुम को दरशाऊ
जब तुम ख़ुद ही अन्तर्यामी
क्यो नही बदल देते
किस्मत की मारी तक़दीर की कहानी
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