POEMS BY MANOJ KAYAL
कैसी है ये अजब विडम्बना
तुम पास होके भी कोसो दूर हो
फासले नहीं फिर भी फासलों पे हो
सदिया बीती तुमसे मिले
नयना तरसे तुमसे मिलने
हसरत हुई ना पूरी
तमन्ना भी रह गई अधूरी
न जाने क्यो वक्त ने किया सितम
तुमसे मिलके भी ना मिले हम
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