RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, December 4, 2009
रणबाँकुरे
बगावत की आग ऐसी जली
विद्रोह की विगुल बज उठी
हुंकार रणबाँकुरे ने ऐसी भरी
रणभेदी
बाज उठी
फ़ैल गई ख़बर हर ओर
सज गई फिर समर भूमि
रणयोद्धाओ के शौर्य की
पराक्रम की कहनी अब लिखी जानी है
इतिहास में एक नए अध्याय की
इबादत लिखी जानी है
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