POEMS BY MANOJ KAYAL
जल उठी चितां
खाक हो गया शरीर
पञ्चतत्व से बना तन विलीन हो
राख में हो गया तब्दील
नश्वर तन था
छोड़ गया प्राण शरीर
अमर थी आत्मा
धारण कर लिया दूसरा शरीर
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