POEMS BY MANOJ KAYAL
कर रहा हु इन्तजार
ढल रहा है दिन हो रही है शाम
होगा भाग्य उदय कल तो
कह रहा है मन ये बार बार
किया नहीं जब कोई अनुचित काम
निश्चय ही रब देगा मेरा साथ
निराश अभी हुआ नहीं
फैलाये बाहे कर रहा हु
एक नए प्रभात का इन्तजार
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