Tuesday, December 15, 2009

बातें

बातें थी ढ़ेरों करनी

किस्से कहानिया थी वया करनी

बतलानी थी वो बात

जिस बात में छुपे थे सारे राज

अहम् थी ये बात

जो बात बतलानी थी आज

हो ना पाई कोई बात

दफ़न हो गई वो राज की बात

रह गई ख्वाइश अधूरी बातों की आज

फिर ना कभी हो पायेगी ये बात

बात जो कहनी थी आज

सिमट गई दुनिया बातों के जंजाल में आए

बंद हो गया सदा के लिए बातों का पिटारा आज

थम गया सिलसिला बातों का इस मुकाम पे आए

खत्म हो गई सारी बातें

अब ना बची कोई बात बतलाने को

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