POEMS BY MANOJ KAYAL
बिछुड़ गए दिलो के तार
छुट गए हाथो से हाथ
कमजोर थी बिस्वास की डोर
टूट गई रिश्ते की डोर
लगी जो हलकी सी खरोंच
हो गई राहें जुदा जुदा
मिल न सके फिर कभी दुबारा
ज्यो हो सागर तट का किनारा
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