बड़ी मतलबी है ये दुनिया
निकलना हो जब कोई काम
याद आ जाती है पुरानी पहचान
मान न मान मैं तेरा मेहमान
वक्त का तकाजा है यही
गधे को भी बाप बनाना है सही
निकल जाए जो काम
भूल जाए सारी पहचान
हद हो जावे बेशर्मी की तब
मुलाक़ात हो जावे अनजाने में जब
पूछे कौन हो महाशय आप
क्यो पड़ रहे हो गले आके मेरे
नहीं करता बात चित
अनजानों अपरिचितों से आज कल
समझ आ गई होगी मेरी बात अब तो आप को
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