POEMS BY MANOJ KAYAL
सौतन का पता हम को चल गया
ख़त से पता उनका मिल गया
लाख छिपाओ मगर हमको पता चल गया
छुप छुप मिलने का राज खुल गया
तस्वीरों में उनका चेहरा मिल गया
बाकी अब कुछ ना बचा
जो था वो फ़ोन से खुल गया
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