RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, November 25, 2009
गमों का सागर
गमों का सागर इतना गहरा
लहर उठी ऊँची ऊँची
फंस गई नैया बीच भवर में
दुखो का पहाड़ इतना ऊँचा
राह न कोई नजर आई
टूट गई जिन्दगी
भर आई आँखे
जीने की अब कोई चाह न रही
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