POEMS BY MANOJ KAYAL
जल बिन जीवन नहीं
जीवन बिना अर्थ नहीं
अर्थ बिना सृष्टि नहीं
सृष्टि बिना जल नहीं
जल है वरदान
ना खेलो सृष्टि के साथ
कही बन ना जाए वरदान अभिशाप
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