POEMS BY MANOJ KAYAL
सहमी सहमी सी रहती है दुनिया
हर तरफ़ खौफं नजर आती है
आलम दहशत का ऐसा है
हर ओर मौत नजर आती है
सन्नाटे में हवा भी
डर का मंजर बना जाती है
अंधेरे में जुगनू की रोशनी भी
एक साजिश नजर आती है
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