POEMS BY MANOJ KAYAL
मैंने रब से मेरी तक़दीर के बारे में जो पूछा
कहा उसने ख़राब है तकदीर तेरी
बड़ा ही बदकिस्मत इंसान है तू
अभागे हाथो में लकीर ही नहीं है तेरे
किस्मत की तो छोड़
हक़ नहीं है जीने का भी तुझे पगले
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