आप के पैरो की नुपुर छम छम कर जब बजे
मेघा रानी छम छमा छम बरसे
माथे की बिंदिया जब चमके
आफ़ताब की आभा की खूब दमके
हाथो का कंगना जब खनके
कोयल लगे गीत सुनाने
चेहरा जो घूँघट में छिप जाए
आसमा में चाँद भी नजर ना आए
ये हुजुर आपके हुस्न को
कहीं हमारी नजर ना लग जाए
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