POEMS BY MANOJ KAYAL
करना है क्या विचार
जब हम करते है तुम से प्यार
रच गई मेहंदी तुम्हारे हाथ
आ पहुँची मेरी बारात तेरे द्वार
करले अब सोलह श्रृंगार
बन मेरी दुल्हन चल पड़ मेरे साथ
No comments:
Post a Comment