POEMS BY MANOJ KAYAL
तारों ने सिखलाया
बुझे चिराग को जगमगाया
आसमां में रहो सदा
जगमगाओ धुर्व की तरह
करके रोशन जहाँ
करलो दुनिया मुठी में
देखने तेरा स्थान
करने तुम्हे प्रणाम
दुनिया हो जाए बेत्ताब
करलो कुछ पुण्य का काम
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