RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, November 17, 2009
जल और अग्नि
रिश्ता जल और अग्नि का
एक दूजे के पूरक रिश्ता
एक जलाये दूजा आग बुझाये
बिन इनके नहीं सृष्टि सम्भव
चाहे तो दोनों विनाश का कहर वरपा दे
चाहे तो वरदान के फूल खिला दे
रिश्ता जल और अग्नि का
एक दूजे के पूरक रिश्ता
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