सहमी सहमी सी रहती है दुनिया
हर तरफ़ खौफं नजर आती है
आलम दहशत का ऐसा है
हर ओर मौत नजर आती है
सन्नाटे में हवा भी
डर का मंजर बना जाती है
अंधेरे में जुगनू की रोशनी भी
एक साजिश नजर आती है
सहमी सहमी सी रहती है दुनिया
हर तरफ़ खौफं नजर आती है
आलम दहशत का ऐसा है
हर ओर मौत नजर आती है
सन्नाटे में हवा भी
डर का मंजर बना जाती है
अंधेरे में जुगनू की रोशनी भी
एक साजिश नजर आती है
अपने मुकाम से जो नजर उठा कर देखोगे
हर ओर लाशों के अम्बार नजर आयेंगे
आतंक से तार तार हुई जिन्दगी नजर आयेगी
छिन्न भिन्न हुई संस्कृति नजर आयेगी
देख इस भयावह मंजर को खुदा की याद आयेगी
कैसे कटेगी जिन्दगी लाशों के बीच
यह बात समझ नहीं आयेगी
जिन्दगी ख़ुद एक जिन्दा लाश बन रह जायेगी
जिन्दगी शतरंज की विछात है
हम तो सिर्फ़ मोहरे है
शह और मात के इस खेल में
हार हमारी ही होनी है
बागडोर उपरवाले ने थाम रखी है
चाल उसने ही चलनी है
हमने तो मूकदर्शक
बस जिन्दगी जीते जानी है
सुनलो वो दुनिया वालो
हम है हिन्दुस्तानी
हिन्दुस्ता बसे हमारे दिलो में
नही कोई हमारा सानी
अमन चैन हमारा छिनने की कोशिश न करना
टुकड़े हमारे दिलो के करने की साजिश न रचना
नामोनिशा तुम्हारा मिटा देंगे
माटी में तुमको मिला देंगे
भाषा अनेक फिर भी बोले एक ही बोली
जय भारत जय भारती
अच्छी शिक्षा उंच विचार
मजबूत बुनियाद के आधार
बिन कठिन परिश्रम
ये डगर नहीं आसान
अच्छा इंसा बनना हो
संकल्प ये करे
कार्य न कुछ ऐसा करे
दरार बुनियाद में आ जाय
सर शर्म से झुक जाय
आप का स्वाभाव ही
आप का परिचय
तो क्यो ना सत्य मार्ग पर चला जाय
सज गई डोली आ गये बाराती
अब तो पढ़ लो मेरा आखरी ख़त
फेरे पड़ जाय किसी ओर संग
उससे पहले भरले मांग मेरे नाम की
बिदा हो गई जो किसी ओर के साथ
जीवन भर पछताओगी अजनबी को गले लगा
पढ़ ले तू ये ख़त आखरी
पगली कब समझ आयेगी ये दीवानगी
डाल के वरमाला मेरे गले
चल पड़ तू मेरे साथ ही
थामने तेरा हाथ
खड़ा हु तेरे पास ही
बस एक बार पढ़ ले तू ख़त आखरी
अहमियत होती है हर छोटी छोटी बातों की
कब कौन सी बात महत्वपूर्ण हो जाय
यकीन विश्वास में बदल जाय
ये कोई नहीं जानता
नाज करो मगरूर ना बनो
इंसा हो इंसा ही रहो खुदा ना बनो
ये सबक सदा याद रखो
कैसी वो रात होगी
तुम मेरे साथ होगी
तारो की बारात होगी
नाचती झूमती पवन की बयार होगी
कैसी हसीन वो रात होगी
सिर्फ़ तेरी मेरी बात होगी
तेरे मर्म स्पर्शी आगोस में रात होगी
कितनी प्यारी वो मिलन भरी रात होगी
कैसी वो रात होगी
आप के पैरो की नुपुर छम छम कर जब बजे
मेघा रानी छम छमा छम बरसे
माथे की बिंदिया जब चमके
आफ़ताब की आभा की खूब दमके
हाथो का कंगना जब खनके
कोयल लगे गीत सुनाने
चेहरा जो घूँघट में छिप जाए
आसमा में चाँद भी नजर ना आए
ये हुजुर आपके हुस्न को
कहीं हमारी नजर ना लग जाए
अभी अभी बात चली है
बात के साथ बात चली है
इस बात में बात जुड़ी है
बात से बात भड़ी है
जितने मुहँ उतनी बात बनी है
बात बात का फेर है
कोई समझे इशारो में बात
कोई ना समझे कहने से भी बात
बात बड़ी गंभीर है
इससे बड़ी और क्या बात है
जीवन में बातों का ही तो साथ है
यही सबसे अच्छी बात है
साहिलों से टकराकर मौजे वापस लोट आई
उठी जो ऊँची लहर कस्ती डूबा गई
शांत हुई जब लहरे
कस्ती भी पहचान न आई
लुट गई किस्मत
बह गई जिन्दगी
रह गई सिर्फ़ गमों की बस्ती
स्वच्छ निर्मल पावन
कांति आभा तर्पण
कोमल मनोहर नयन
फूलो का दर्पण
सुंदर सोम्य संयम
बेजोड़ है संगम
ऐसी चाहिए एक नार
जो बदल दे मेरा जीवन
भर दे सुखो से संसार
खोके तुम्हे ये अहसास हुआ
दर्द जुदाई का क्या होता है
ये मुझको अहसास हुआ
बरबस ही दिल रो पड़ता है
तुमको कभी ना भूल सकता है
पास रहे तब कदर ना जानी
छोड़ चले गए तब ये समझ आई
नादानी हमसे हुई
तेरे सच्चे प्यार का पहचान ना सके
सुन्दरम नयनाभिरामं
कोमलांगम मधुरं
ओ मेरी प्रियतम
खुदा भी कहे तुम हो मन मोहनं
ओ शकुन्तलम प्रियतम
तुम ही हो प्रिय बांधवं
तुम ही सबसे सुन्दरम
ओ मेरी प्रियतम
सुन्दरम नयनाभिरामं
कोमलांगम मधुरं
ओ मेरी प्रियतम
अगर समझ जाते सचाई
तो खुदा ना बन जाते
पी लेते अमरत्व
तो अमर ना हो जाते
जो पा लेते तुझे
तो मंजनू ना बन जाते
मिल गया होता प्यार यदि
तो बेरहम ना कहलाते
सौतन का पता हम को चल गया
ख़त से पता उनका मिल गया
लाख छिपाओ मगर हमको पता चल गया
छुप छुप मिलने का राज खुल गया
तस्वीरों में उनका चेहरा मिल गया
बाकी अब कुछ ना बचा
जो था वो फ़ोन से खुल गया
कल्पना की उड़ान स्वछंद हो
ना किसी से तकरार हो
ना विचारो का टकराव हो
मुक्त गगन उड़े ऊँची उड़ान हो
सुंदर स्वप्निल कल्पना साकार हो
प्यार बसे जिसमे सबका
वो सपना साकार हो
वो माटीके पुतले वो मट्टी के खिलौने
वो बचपन की यादे वो लड़कपन की बातें
टूटते खिलौने बरसते आंसू
वो बेजान पुतले वो मट्टी के खिलौने
लगते सबसे अज़ीज़ वो खिलौने
छुले कोई तो लड़ना झगड़ना
वो रोना वो रोते रोते हँसना
वो माटी के खिलौने
जिनके संग बचपन गुजरा
देखू जब भी माटी के खिलौने
याद आ जाए बचपन दुबारा
बात क्यो ना फिर खास हो
जब तुम मेरे साथ हो
सुन तेरी प्यार भरी बात
लगने लगी दुनिया हसीन
अहसास क्यो ना फिर खास हो
जब आँचल में लिपटा प्यार हो
पा के तेरी आगोश क्यो ना फिर
दुनिया जन्नत से हसीन हो
कुछ अनछुए पहलु दिल को छु जाते है
जज्बात आंसू बन निकल आते है
भावनाओ का समंदर सैलाब बन उमड़ आता है
इस एक पल को अजनबी भी अपना नजर आता है
मीठे बोल जो बोलले वो हमदर्द नजर आता है
कहना जो चाहू वो कह नही पाऊ
कैसे मैं तुम को बताऊ
क्यो मैं तुम को चाहू
ओ यारा दिलदारा
दिल तेरे हाथो हारा है
आजा गले मुझे लगा जा
मेरे प्यार को मांग में सजाजा
दामन प्यार के फूलो से महका जा
ओ यारा दिलदारा
कहना जो था वो है मैंने कह दिया
तुझको है रब का वास्ता
मेरे को अपना बनाजा
ओ यारा दिलदारा
हसरते प्रेरणा बन जाती है
जब ख्वाईसे अधूरी रह जाती है
जूनून कर गुजरने की संजीवनी बन जाती है
जब हर बार असफलता हाथ आती है
बुलंदियों को छु लेने की तम्मना पूरी हो जाती है
जब कामयाबी की कुंजी हाथ आ जाती है
वादा तुझसे किया उसको निभाना है
तुझको ओर ना रुलाऊ
ओर ना तुझको सताऊ
ऐसा मुझको बन जाना है
प्यार किया तुझसे उसको भी निभाना है
तेरी खातिर कुछ भी कर जाना है
जो वादा किया उसको निभाना है
तारों ने सिखलाया
बुझे चिराग को जगमगाया
आसमां में रहो सदा
जगमगाओ धुर्व की तरह
करके रोशन जहाँ
करलो दुनिया मुठी में
देखने तेरा स्थान
करने तुम्हे प्रणाम
दुनिया हो जाए बेत्ताब
करलो कुछ पुण्य का काम
पगडंडियों पे चलते गए
लघुतम मार्ग खोजते गए
झुरमुठो को झाडियों को
रोंद आगे बड़ते गए
जूनून इस कदर हावी था
सफलता पाने का
कदम ख़ुद व् ख़ुद बड़ते गए
मंजिल तो नसीब ना हुई
भूल भुलैया खो जरुर गए
सफर खत्म हो चला रात गुजर गई
बीते लहमे याद बन दिलो में बस गए
नींद अब आती नहीं
पलके एक पल के लिए भी झुकती नहीं
तस्वीर वो आँखों के सामने से हटती नहीं
बिन उनके नींद अब आती नहीं
बीती रात भूली जाती नहीं
उनके बैगर अब रात गुजर पाती नहीं
जब से पड़ी पूंजीवाद की साया
उपभोक्ता बाजार चला आया
आधुनिकता की होड़ मची
बदल गई जीने की तस्वीर
दौलत हो या ना हो
सब हाज़िर हैं फिर भी सब किस्तों मैं
किस्ते बनने लगी जी का जंजाल
आमदनी अठ्नी खर्चे बेहिसाब
किस्त चुकाने लेने पड़े किस्त उधार
वाह रे वाह पूंजीवाद
गुजर गई जिंदगानी चुकाते चुकाते किस्तिया
जो कल तक लग रही थी आसान
समझ नहीं सका मानव पूंजीवाद की फांसिवाद
जय हो पूंजीवाद
लो फिर चली आई वो चाँदनी रात
हम तुम तुम हम बैठे डाले हाथो में हाथ
बिन मिलन गुजर ना जावे ये हसीन रात
चंदा चमके बनके तेरे माथे की बिंदिया है आज
लो फिर चली आई वो चाँदनी रात
आओ एक दूजे की आँखों में करे चाँद का दीदार
पुरा है चाँद छटक रही चाँदनी
दमक रही बन के प्यार
आओ खो जाए एक दूजे में
गुजर ना जाए ये रात
लो फिर चली आई वो चाँदनी रात
समर भूमि का जो वर्णन आया
सुन के मन रोमांचित हो आया
कैसा रहा होगा वो समर
जब होती थी आर पार की लड़ाई
अस्व पे होके सवार
लेके हाथ भाल और तीर कमान
वीर चल पड़ते थे करने न्योछावर प्राण
सचमुच वो थे योद्धा महान
सुन के वीरो का बलिदान
मन में आए उत्तम विचार
मधुशाला कहे कभी मेरे घर भी आओ
मधुरस एक घुट अपने नाम कर जाओ
भूल जाओगे सारे गम
जो मेरी आगोश में आ जाओगे
वादा रहा ये मेरा तेरे साथ
जो किया मेरा रसपान
दूर ना मुझसे कभी रह पाओगे
भूल के दुनिया सारी
मेरे घर रहने चले आओगे
पुकार पुकार कहे मधुशाला
कभी मेरे दर पे भी तो आओ
फिर कुछ कहोगे तो कुछ लिखूंगा
कुछ ना कहोगे तो भी लिखूंगा
लिखना छोड़ सकता नहीं
जज्बातों से नाता तोड़ सकता नहीं
एक यही तो हमदम है
जिसके सहारे जिन्दा हु
कहनी होती है जब भावनावो से भरी दिल की बात
एक इसी का तो होता है साथ
फिर कैसे छोड़ दू इसका साथ
फिक्रमंद हु कल्पना भविष्य की करके
बादल रही है पल पल ये घड़ी
बयार बदलाव की जो चली
सारे आज को बादल गई
फिक्र ना फिर कैसे करू
सोच सोच भविष्य के बारे में डरा करू
एक सूत्र में बंधे रिश्ते
लगे पिरोई हो भिन भिन फूलो की माला जैसे
जब बंधे हो सब एक सूत्र से
तो कहलाये ये अटूट रिश्ते
खुली हो अंगुली तो हाथ बने
बंद हो तो मुक्का कहलाये
एक एक कर जो आपस में जुड़ जाय
कोई ताकत उसने ना तोड़ पाय
प्यार में ही एकता
सूत्र का मंत्र जो समझ जाय
फिर ना जीवन में वो कभी हार पाय
बड़ी मतलबी है ये दुनिया
निकलना हो जब कोई काम
याद आ जाती है पुरानी पहचान
मान न मान मैं तेरा मेहमान
वक्त का तकाजा है यही
गधे को भी बाप बनाना है सही
निकल जाए जो काम
भूल जाए सारी पहचान
हद हो जावे बेशर्मी की तब
मुलाक़ात हो जावे अनजाने में जब
पूछे कौन हो महाशय आप
क्यो पड़ रहे हो गले आके मेरे
नहीं करता बात चित
अनजानों अपरिचितों से आज कल
समझ आ गई होगी मेरी बात अब तो आप को
मैंने रब से मेरी तक़दीर के बारे में जो पूछा
कहा उसने ख़राब है तकदीर तेरी
बड़ा ही बदकिस्मत इंसान है तू
अभागे हाथो में लकीर ही नहीं है तेरे
किस्मत की तो छोड़
हक़ नहीं है जीने का भी तुझे पगले
क्या सचमुच मैं इतना बुरा हु
जो किस्मत हर बार दगा दे जाती है
मंजिल पास आ फिर दूर चली जाती है
सपने बिखर जाते है
मायूसी चहरे पे छा जाती है
रब भी मेरी प्रार्थना काबुल नहीं करता
शर्मिंदगी फिर सब के आगे उठानी पड़ती है
ब्यथा मेरी है आंसुओ में लिपटी
लाचारी एसी रो भी ना सकू
पीडा अपनी किसी को बया भी ना कर सकू
शायद मैं सबसे बुरा हु इसीलिए
जल बिन जीवन नहीं
जीवन बिना अर्थ नहीं
अर्थ बिना सृष्टि नहीं
सृष्टि बिना जल नहीं
जल है वरदान
ना खेलो सृष्टि के साथ
कही बन ना जाए वरदान अभिशाप
ढाई कोश चले एक पहर में
एक सदी लगी ढाई आखर का अर्थ समझने
कथा ये विचत्र पर निराली है
अजब प्रेम की गजब कहानी है
साथ रहे जीवन भर
पर समझ ना पाए प्यार का दर्द
अंत समय आया तो
दिल को ये ख्याल आया
अब तो कह दू
प्रेम हमें तुमसे ही है
पहले तुम ताजमहल लगती थी
अब खंडहर दिखती हो
उम्र हावी होने लगी
बुनियाद कमजोर होने लगी
स्वरुप तुम अपना खोने लगी
झुरिया चहरे पे छाने लगी
तू मौत को इस्तकबाल करने लगी
जली शमा परवानो के लिए
खिली कलिया भवरो के लिए
बने अफसाने फसानो के लिए
गुलशन हुआ चमन प्यार के लिए
बनी मोह्बत दिलवालों के लिए
ना जाने क्यो पर चला जा रहा हु
अनजानी मंजिल की ओर
ना पहुँच सके तेरी परछाई जहाँ किसी रोज
वादा जो किया जाने का
आ गया वक्त उसे निभाने का
दिल को है समझाया
उनकी खुशियों की खातिर है जाना
प्यार है खुदा की निमत
कैसे किया वादा मैं तोड़ दू
फर्क इतना है
तुने किसी ओर के शब्दों का सहारा लिया
हमने अपने शब्दों का
तुने दुसरे की भावनाओं को अपनी अभिब्येक्ती बनाया
हमने अपनी भावनाओं को उज्जागर किया
अन्तर ये बहुत बड़ा है
फासला बहुत ज्यादा है
इसलिए फर्क लाजमी है
कल किसी ने पूछा क्या कल भी मेरा हाथ थामे रहोगे
मेरे मरने के बाद मेरा मकबरा बनवाओगे
हँस कर हमने कहा
भविष्य को छोडो वर्तमान की बात करो
बात मकबरे की कर रहे हो
देख सामने ताजमहल फिर क्यो घबरा रहे हो
ठीक कहा तुने साथ अब अपना निभ सकता नहीं
मजबूरन ढोने पड़े उन रिश्तो की जरुरत नहीं
यार गाड़ी ऐसे चल सकती नहीं
तलाक से अच्छा सुझाब नहीं
अक्स तेरा दिल में बनाया था
मोह्बत ये मल्लिका तुझको बनाया था
सपनो के उड़नखटोले से उत्तार दिल में बसाया था
साहिलों में डूब ना जाओ नजरो में समाया था
रेत पे लिखे नाम की तरह ना मिट जाओ
इसलिए तेरा नाम अपने सीने पे खुदवाया था
क्यो ढूंढे उन्हें जिन्हें हमारी फिक्र नहीं
रेत पे उनका अक्स बना निहारते रहे
इसका अर्थ ये नहीं
उनके बिना हम जी सकते नहीं
साहिलों से टकरा प्यार की कश्ती जो डूब गई
इसका मतलब ये नहीं मोह्बत हमारी मर गई
बेगाना हो भटकू गली गली
खोजू प्यार हर कलि कलि
मिली ना कोई सुंदर कलि
कह सकू जिससे बात प्यार भरी
भटक रहा हु गली गली
कहीं तो मिलेगी मुझको भी
मेरे दिल की परी
संग जिसके होगी मेरी डोर बंधी
क्यो ना खोजू अपनी प्रेम दीवानी गली गली
ओ री पवन सुन री पवन
ओ री पागल पवन
बरसी जो घटा बनके शीतल चुभन
उड़ने लगी खाबो की उड़न
बरसने लगी उमंगो की तरंग
ओ री पवन सुन री पवन
ओ री पागल पवन
बदलने लगा आसमा का रंग
छाने लगी मेघो की छम छम
गाने लगी कोयल गीतों बहार
उठने लगी मन में उमंगें हज़ार
झुमने लगा दिल ये बार बार
ओ री पवन सुन री पवन
ओ री पागल पवन
बोल के समझाया
कर के दिखलाया
इशारो से बतलाया
पर उनकी समझ कुछ भी ना आया
किस मिटटी का बना है ये इंसान
जानते समझते हुए ना समझ बन रहा है
समझ में ना आई ये बात
जो कहा भेंस के आगे बीन बजाने से क्या फायदा
हँस कर उसने कहा
अदा तुम्हारी दिल को भा रही थी
तरीका समझाने का अच्छा लग रहा था
इशारे मन को लुभा रहे थे
तुम पास रहो इसलिए ना समझ बन रहा था
हे ईश्वर इतनी शक्ति मुझको दे दो
पिता को दिया वचन पूरा कर पाऊ
थोडी कृपा मुझ पर भी कर दो
क्रोध मेरा भी हर लो
बहुत लुटाया क्रोध में
अब ना ओर कोई अनिष्ट हो
मेरे परिवार के लिए मुझको संभाल लो
बोली कर दो शहद सी मीठी
गुस्सा गाली कर दो काफूर
ना देवे दुआ कोई बात नहीं
किसीकी बददुआ क्यो मैं लू
इसलिए हे ईश्वर सुन कर मेरा भी विनम्र निवेदन
मदद मेरी कर दो आज
पिता को दिए वचन की रह जावे लाज
ऐसा आर्शीवाद मुझको भी दे दो आज
हे मानव निंद्रा से जागो
जीवन सार को पहचानो
गीता उपदेश को जानो
सब कुछ यही रह जाना है
फिर क्यो करो भेद भाव
आओ मिलके रहे अमन के साथ
जो बदलनी किस्मत धरा की आज
तो मानव अब तू निंद्रा से जाग
रुक रही साँसों को थाम लो
हो ना जाए देर इससे पहले
मेरे नाम की मांग सजालो
बिन तेरे कुछ भी नहीं
कैसे तेरे बिन जिया जाऊ
इन साँसों की डोर बंधी है
तेरी साँसों की डोर से
हो ना जाए देर कही
आके मेरा हाथ थाम लो
खोली जो किताब चक्कराने लगा सर
देख के पाठ मुख से निकल पड़ा
इतना बड़ा पाठ हो नही सकता मुझसे याद
सुनते ही इतना मास्टरजी बोले
बच्चे जरा खड़े हो जाओ
मुर्गा बन सब को दिखलाओ
जब हो सकते है बेहुदे गाने याद
तो क्यो नही हो सकता पाठ याद
अब तुमको आयगी नानी याद
बनते ही मुर्गा हो जाएगा पाठ याद
कैसी अजब माया कैसा अजब खेल निराला
दोस्त है मगर गिनती दुश्मनों में ज्यादा है
प्यार है मगर नफरत उससे भी ज्यादा है
चाहे किसी ओर को ये भी उनको मंजूर नही
दूर एक दूजे से रहे ये भी मंजूर नही
ये कैसा प्यार है कैसा अपनापन है
हमको मालूम नही
लगता है भाषा प्यार की समझ नही आती
हर छोटी छोटीबातों पे तलवार निकल आती है
ना जुबान पे कोई लगाम होती है
लड़ने को आतुर भोये तन जाती है
कड़वाहट वो भी नीम चडे करेले सी हो जो
दोस्तों को भी दुश्मन बना देती है
फिर भाषा प्यार की समझ नही आती है
इस सुंदर गुलिस्ता में गुलदस्ता एक सजाया है
प्यार की खुशबू इसे महकाया है
काँटो को निकाल गुलाब से इसे बनाया है
गुलदस्ते की तरह खिलता रहे चमन
पैगाम ये दिलो में महकाया है
पहन के हाथो में कंगन
पैरो में पायल , कानो में झुमका
लगा के माथे पे बिंदिया
बालो में गजरा ,हाथो में मेहंदी
पिया निहार रही साजन की राह
गाके मधुर मिलन राग बुला रही
साजन जी जल्दी घर आना
संग तेरे है हमको जाना
कर के सोलह श्रृंगार
कर रही हु तेरा ही इन्तजार
अब ना देर लगाओ
चंदा की चाँदनी ढल जावे
इस से पहले तुम आ जाओ
आ जाओ आ जाओ
सजन अब तो आ जाओ
कोशिश बहुत की पर तुझ से नफरत ना कर पाया
दिल को बहुत समझाया पर इसे मना ना पाया
फासला ज्यादा था दूर जाना जरुरी था
पर लोट के तेरे पास ही आना होगा ऐ मालूम ना था
इन्तजार उनका का किया
रात ढलने को आई
शमा बुझने को आई
पर कोई पैगाम ना लायी
बैठे रहे जिनके इन्तजार में
बेमुरबत वो ना आई
ऐसी भी क्या बेरुखी दिखलाई
की एक पल के लिए उनको
हमारी याद भी ना आई