POEMS BY MANOJ KAYAL
किस्मत दगा दे जाती है
पास आई मंजिल भी छुट जाती है
ना जाने तक़दीर ने क्या खेल रचा है
कामयाबी द्वारे आकर लोट जाती है
रोना भाग्य पे आता है
हर प्रयास असफल हो जाता है
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