POEMS BY MANOJ KAYAL
साँझ सबेरे मिलने आना
बहाना ना कोई बनाना
मिलके बुनेगे एक नया सपना
प्यारा सा हो घर एक अपना
प्यार से रोशन रहे आँगन अपना
खुशियों से महकी रहे अपनी बगिया
जो सच करना हो सपना
हाथ पकड़ना तुम ना भूलना
साँझ सबेरे मिलने आनाबहाना ना कोई बनाना
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