POEMS BY MANOJ KAYAL
एक ताजमहल मैं भी बनवाऊ
प्यार की इबादत उसमे खुद्वाऊ
मोह्बत की ये निशानी
नजराने में तुझे भेंट करू
महकता रहे अपना प्यार
खिलते रहे प्यार के गुलाब
दुआ रब से ये ही करू
मरके भी जो है साथ निभाना
तेरी कब्र के बगल में मेरी कब्र बनवाऊ
एक ताजमहल में भी बनवाऊ
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