POEMS BY MANOJ KAYAL
इन्तजार उनका का किया
रात ढलने को आई
शमा बुझने को आई
पर कोई पैगाम ना लायी
बैठे रहे जिनके इन्तजार में
बेमुरबत वो ना आई
ऐसी भी क्या बेरुखी दिखलाई
की एक पल के लिए उनको
हमारी याद भी ना आई
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