मैं ख़ुद में खोया रहा
चाहा बहुत खालीपन तोड़ डालु
मुश्किल घड़ी पर खतम ना होती
अकेले रह गया
साथ सब का छुट गया
जाने विधाता ने किस्मत में क्या लिखा
क्यो सब को मुझ से जुदा कर दिया
संग सब का होते हुवे भी
तन्हा मुझ को बना दिया
लगने लगा खुदा को मेरे से ज्यादा लगाव है
इसलिए किसी ओर का नाता मुझ से जुड़ने ना दिया
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