POEMS BY MANOJ KAYAL
बंजारे हम बंजारे
भटके फिरे गली गली
आज यहाँ कल वहां
सीधे सादे हम बंजारे
प्यार की भाषा हम जाने
चाहो जो हमें अपनाना
तो पहले है कबीले को अपनाना
चाहे जो भी हो जावे
टूटने न दे कबीले की मर्यादा
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