RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, October 25, 2009
प्रतिभा
कलाकार की कल्पना
रचनाकार की रचना
मोहताज नही कद्रदानों की
अनुभूति प्रेरणा बन कृति बन जाए
विचार धाराए नई करवटे लेने लगे
मंथन हो कला साकार हो निखारने लगे
कसर ना कोई रह जाए
कोशीस अगर यही हो तो
प्रतिभा असर हर ओर नजर आए
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