समुद्र मंथन से जैसे हलाहल निकला
आओ वैसे ही हम समाज का मंथन करे
पुरानी कुरीति बेडिया ध्वंस करे
एक नए सुंदर समाज का सृजन करे
भगवान शंकर ने भी विष पान कर
देवतों को अमृत पान प्रदान किया
आओ हम भोले नाथ की राह चले
सामाजिक कुप्रथाओ का नाश करे
आने वाली पीडी के लिए
नए सभ्य समाज का सृजन करे
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