POEMS BY MANOJ KAYAL
तन्हा तन्हा जिन्दगी कटे नही
काटे वक्त कटे नही
ख़ुद से बेगाना हो फिरू
आस की डोर थामे थमे नही
चित भटके किसी बेगानी चाह को
तलबगार कोई मिले नही
मिलने मिले हजारो
पर हमसफ़र सा कोई नही
तन्हा तन्हा वक्त कटे नही
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