POEMS BY MANOJ KAYAL
जहर तुने जो पिलाया
अमृत समझ पी लिया
अब तमना जीने की ओर ना रही
कत्ल वफा का तू ने जो कर दिया
रुसवाई के सिवा कुछ ओर ना दिया
हमें ही बेवफा बना छोड़ दिया
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