POEMS BY MANOJ KAYAL
हँसते रहो हँसाते रहो
खिलते रहो खिलखिलाते रहो
क्योकि इस पल है जिंदगानी
उस पल का ठिकाना नही
कुदरत ने बुलाने की लिए
कब का वक्त मुकर्र किया
कोई ये जाने नही
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