POEMS BY MANOJ KAYAL
हम दुश्मनों में भी दोस्त तलासते रहे
अपने हाथो अपना दामन जलाते रहे
एक अजनबी ने कहा
क्यो अपने ऊपर सितम डाहते हो
गैरों के पीछे क्यो अपनी जिंदगानी लुटाते हो
वक्त रहते संभल जाओ
लोट के अपनों के पास आजाओ
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