ओ चाचा थे आओ ना
था बिन घर सुनो सुनो लाग है
बिन थार दिवाली फीकी नजर आव है
चाचा थे सुन लो आज माहरी मनुहार
थारा टाबर जोह थारी बाट
अब ना करो थे निराश
सगळा थान कर बहुत याद
माँ खड़ी द्वारे कर रही थारो इन्तजार
हर बाताम थारो ही नाम
था बिन नही म्हारा जीवन को सार
अब तो ना रूठो थे आज
जिद माहरी भी है आज
आनो पडसी थान इस दिवाली माहरा पास
मान्नो पडसी या छोटी सी बात
आ कर निभानो पडसी वादों जो कियो आप
इस दिवाली आनो पडसी
चाचा सुन माहरी मनुहार
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