मन ये कहे उड़ चलू उड़ चलू
गगन गगन फिरता चलू
चहक चहक नीले अम्बर को छूता चलू
आजाद परिंदे सा डाली डाली छूता चलू
उड़ चलू उड़ चलू
खुशियों के पर लगा उड़ता चलू
कभी पर्वतो को कभी नदियों को छूता चलू
सुन के दिल की पुकार
हो के अरमानो के उड़न खटोले में सवार
उड़ चलू उड़ चलू
सुन के मन की बात दिल कहे ये बार बार
उड़ चलू उड़ चलू , उड़ चलू उड़ चलू
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