जलते अंगारों पे लेट गयी
पिया तेरी खातिर ज़माने के सितम सह गयी
फिर तेरी जिंदगानी में लोट ना पायी
तुने यारी अच्छी निभाई
एक बार भी हमको आवाज़ ना दी
तेरी रुसवाई पे आंसू बहाते रहे
पर बेवफा तुने पलट के भी ना देखा
ज़माने की ठोकर खाने हमें छोड़ दिया
तड़पने के लिए अकेला छोड़ दिया
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