Saturday, October 10, 2009

अंगारे

जलते अंगारों पे लेट गयी

पिया तेरी खातिर ज़माने के सितम सह गयी

फिर तेरी जिंदगानी में लोट ना पायी

तुने यारी अच्छी निभाई

एक बार भी हमको आवाज़ ना दी

तेरी रुसवाई पे आंसू बहाते रहे

पर बेवफा तुने पलट के भी ना देखा

ज़माने की ठोकर खाने हमें छोड़ दिया

तड़पने के लिए अकेला छोड़ दिया

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