POEMS BY MANOJ KAYAL
खाब बस इतना सा है
मानव सेवा में जीवन अर्पण हो
मानवता ही मेरा तर्पण हो
मेरा कर्म ही मेरा दर्पण हो
निःस्वार्थ भाव से जीवन समर्पण हो
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