जाने वो कोन सी घड़ी थी
अनजानी मुसीबत को न्योता दे दिया
लाख कोशिश की निकल आने की
हर राह बंद होती नजर आई
जाने वो कोन सी भुल्भुलाया थी
सिर्फ़ अन्धकार ही अन्धकार नजर आया
यू लगा मानो जैसे
एक तरफ़ कुवा दूसरी तरफ़ खाई है
ध्यान जो रब को किया
उम्मीद फिर नजर आई
नजरे खोली तो देखा
स्वतः ही बाहर निकलने का
मार्ग प्रस्तुत हो चला
वादा किया अब ना एसी गलती दोहराएँगे
शान्ति पूर्वक जीवन गुजार जायेंगे
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