किलकारी लगी गूंजने
दीपक रितु की महकी बगिया
खुशिया पधारी हमारे अंगना
लक्ष्मी दुर्गा रूप धर आई
सोगात ऐ अनुपम हमने पाई
कुदरत ख़ुद हमारे घर चली आई
हे ईश्वर मंगल पावन की इस मधुर बेला
स्नेह भरा निमंत्रण आप स्वीकार करो
नामकरण की शुभ बेला पधार
नए मेहमान को आर्शीवाद प्रदान करो
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