RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, September 18, 2009
सांसारिक नियम
उड़ना चाहू उड़ ना सकू
सांसारिक नियमो को तोड़ ना सकू
ऊँचे ऊँचे पर्वतो पे बस ना सकू
मोह माया त्याग ना सकू
हरी भरी वादियों में खो ना सकू
चिंता से मुक्त हो ना सकू
रमणीय प्रकृति की गोद में सो ना सकू
चाह कर भी जीवन त्याग ना सकू
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