ओ रि पागल पवन
मत ना छेड़ दिल के मोर
क्यो डाले घटाओ पे डोर
उठने दे प्यार की हिलोर
टूट ना जाए पतंग की डोर
ओ रि पागल पवन
क़हा है तेरी छोर
मत ना मचा इतना शोर
बहने दे संगीत का दोर
मत ना तोड़ दिल की ओश
ओ रि पागल पवन
ओ रि पागल पवन
समझ ले इशारों की ओट
बदल ले तू अपना मोड़
बिन छुए निकल ले
कही भटक ना जाए दिल के चोर
ओ रि पागल पवन
ओ रि पागल पवन
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