POEMS BY MANOJ KAYAL
हुस्न की महफ़िल में तुम्हारी कमी थी
काँटो के बीच गुलाब की कमी थी
सूरज के साथ चाँद की कमी थी
रंगों की भीड़ में रोनक की कमी थी
अजनबियों के बीच अपनों की कमी थी
एक तुम्हारे बैगर हर महफ़िल अधूरी थी
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