POEMS BY MANOJ KAYAL
क्यो उन अरमानो की चाह रखु
जो पुरे हो ना सके
क्यो उन खाबो को देखू
जो मिल ना सके
तू ही बता ऐ जा नसीन
में किस राह चलू
रुखसत तुम्हे कल होना है
क्यो ना आज ही कर दू
तेरी नई सुबह का
आज में आगाज कर दू
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