POEMS BY MANOJ KAYAL
अब चाहत ओर ना रही
कुछ पाने की लालसा ओर ना रही
जीने की तम्मना ओर ना रही
दिलो को रुलाने की तम्मना ओर ना रही
बदलते रंगों में जीने की तम्मना ओर ना रही
तन्हा रहने की आदत ओर ना रही
जिन्दगी जीने की तम्मना ओर ना रही
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