POEMS BY MANOJ KAYAL
कितनी खुबसूरत ये सृष्टि है
हर पल अलग अलग नजारे है
कही धुप तो कही छाव है
बड़ी सुंदर ये रचना है
कही बसंत तो कही पतझड़ का मेला है
कल्पना से परे ये अजबूझ पहेली है
कुदरत की ये बेमिशाल कृति है
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