POEMS BY MANOJ KAYAL
गुनगुनी धुप खिली
अरमानो की बगिया महकी
शीतल पवन मृदु़ल हवा चली
खुशियों की बरसात हुई
इस नई बेला
आर्शीवाद की नई शौगात मिली
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